हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया। - राजेंद्रप्रसाद।
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21वाँ अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन भूटान में संपन्न - भारत-दर्शन समाचार

28 जून 2023 (रायपुर, भारत) : 4 जून से 12 जून तक  21वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन भूटान में सम्पन्न हुआ। उल्लेखनीय है कि यह आयोजन बिना किसी सरकार के सहयोग के आयोजित किया जाता है। विश्व भर में सृजनरत हिंदी औऱ भारतीय भाषाओं के सक्रिय और प्रवासी रचनाकारों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए इससे पूर्व रायपुर,  बैंकाक, मारीशस, पटाया, ताशकंद, संयुक्त अरब अमीरात, दुबई, कंबोडिया, वियतनाम, चीन, नेपाल, इडोनेशिया (बाली), गुवाहाटी (असम), राजस्थान, रूस, ग्रीस, म्यांमार में 20 अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलनों का आयोजन संपन्न हो चुका है । 

"मनुष्य  इस नित्य स्वरूप ब्रह्माण्ड की उपज है। वह स्वयं में ब्रह्माण्ड ही है। जगत  में व्याप्त समस्त शक्तियाँ, उदारताएँ,  उसके हाथ में हैं। सोचने का विषय है वे कौन से कारण हैं कौन-सी राजनीति है, कौन-सी विचारधारा है, कौन-सा परिवेश, जिसने मनुष्य को मनुष्य से दूर कर दिया है। अंहिंस परिवार द्वारा आयोजित यह अंतराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन मनुष्य को मनुष्य से परिचित कराने की व्यायाम शाला है, जिसमें सभी अपनी इच्छा से सुविधा में प्रेम से सद्भाव से और उदारता से भाग लेते हैं। परस्पर सहयोग और प्यार ही एक मात्र  नियम है।" 21 वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन, सिलीगुड़ी-भूटान की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध रचनाकार और उत्तराखंड सरकार में उच्च शिक्षा विभाग की पूर्व निदेशक डॉ. सविता मोहन ने आगे कहा कि--  सरकारी संस्थाओं द्वारा संचालित सम्मेलन जहाँ गठजोड़ से, सरकारी धन के अपव्यय का कारण होते हैं, वहीं हमारा यह सम्मेलन परस्पर हृदय को हृदय की बात बताने का सम्मेलन है।  हम मिलते नहीं-- जुड़ते हैं, जीवन में कभी नहीं अलग होने के लिए और यही अंहिंस परिवार का वास्तविक परिचय है। यह किसी गौरवशाली परंपरा से कतई कम नहीं जो अंहिंस बिना सरकारी धन या अनुदान के विगत 21 वर्षों से देश से बाहर हिंदी के उत्थान के लिए सक्रिय है। 
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